Shri Gayatri Chalisa – श्री गायत्री चालीसा

Gayatri Chalisa in Hindi – श्री गायत्री चालीसा
॥ दोहा ॥
गायत्री माता की महिमा, वाणी कह न सके।
जो श्रद्धा से नाम ले, भवसागर तरि जाए॥
॥ चौपाई ॥
जय गायत्री माता भगवानी।
त्रिपदा, वेदों की तुम रानी॥1॥
ब्रह्मा विष्णु शिव भी पूजें।
ऋषि मुनि योगी ध्यान में सूझें॥2॥
पंचमुखी, दस भुजाधारी।
कमलासन बैठी सुखकारी॥3॥
माला, कमंडल, पुस्तक हाथा।
ज्ञान, तपस्या, धर्म की त्राता॥4॥
ओंकार रूपा, तेज तुम्हारा।
सप्त ऋषियों ने ध्यान सँवारा॥5॥
तुमसे ही वेदों का ज्ञान।
तुमसे ही जीवन का विधान॥6॥
भक्ति भाव से जो जन गावे।
सकल सिद्धि वह सहज ही पावे॥7॥
अज्ञान रूपी तम हरनी।
सत् विचार की हो संगरनी॥8॥
संध्या वंदन का आधार।
साक्षात ब्रह्म स्वरूप अपार॥9॥
सावित्री तुम, वेदों की माता।
शक्ति, शांति, तप की दाता॥10॥
तेरी कृपा दृष्टि जो पावे।
जन्म-मरण से मुक्त वह हो जाए॥11॥
मन वांछित फल सबको देती।
सच्चे भावों से जो रति लेती॥12॥
बालक, वृद्ध, सभी गुण गावे।
मुक्ति और मोक्ष वही पावे॥13॥
त्रैलोक्य में नाम तुम्हारा।
जपे जो कोई, मिटे अंधियारा॥14॥
विद्या, बुद्धि और प्रकाश।
गायत्री माँ, कर दो उद्धार॥15॥
॥ दोहा ॥
जो पढ़े गायत्री चालीसा, नित्य करे आराध।
ज्ञान, शांति, बल, भक्ति से, भर दे माँ अनुराग॥
गायत्री चालीसा: शक्ति, ज्ञान और जीवन का मार्गदर्शक
गायत्री चालीसा एक प्रसिद्ध भक्ति स्तोत्र है, जिसे विशेष रूप से गायत्री माता की पूजा और आराधना के लिए रचा गया है। यह चालीसा 40 चौपाइयों और दो विशेष दोहों से मिलकर बनी है और यह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है। गायत्री माता को वेदों की देवी और ज्ञान की देवी माना जाता है। उनका यह अद्भुत स्तोत्र न केवल धार्मिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करने के लिए भी अत्यधिक प्रभावशाली है।
गायत्री माता: ज्ञान, शक्ति और शांति की देवी
गायत्री माता को वेदों की जननी और सभी देवी-देवताओं की माता माना जाता है। उनकी उपासना से न केवल भक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में स्थिरता, ऊर्जा और उद्देश्य की प्राप्ति होती है। गायत्री देवी का रूप त्रिदेवी की समन्वित शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जिसमें शक्ति, ज्ञान और शांति का अद्वितीय मिश्रण है। उनका दिव्य मंत्र “ॐ भूर्भुवः स्वः…” जीवन की वास्तविकता को उद्घाटित करता है और व्यक्ति को उच्चतम स्तर की आध्यात्मिक शांति की ओर मार्गदर्शन करता है।
गायत्री चालीसा का महत्व और इसके लाभ
गायत्री चालीसा का नियमित पाठ करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान भी करता है। इस चालीसा के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, जैसे:
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ज्ञान की प्राप्ति: गायत्री चालीसा का पाठ व्यक्ति की बुद्धि को तीव्र और तेज करता है।
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आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा साधक को आत्म-ज्ञान और आत्म-बोध की दिशा में अग्रसर करती है।
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शांति और संतुलन: गायत्री देवी की कृपा से मानसिक शांति मिलती है, जिससे जीवन में संतुलन बना रहता है।
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रोगों से मुक्ति: गायत्री माता की उपासना से शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत मिलती है।
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सिद्धियों की प्राप्ति: जो व्यक्ति श्रद्धा से इस चालीसा का पाठ करता है, उसे जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
चालीसा का पाठ करने का सही तरीका
गायत्री चालीसा का पाठ सुबह या संध्यावेला में, शुद्ध मन और समर्पण भाव से किया जाता है। इसका पाठ किसी पवित्र स्थान या मंदिर में किया जाना सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन यदि घर पर भी इस चालीसा का पाठ किया जाए तो भी उसका फल निश्चित रूप से मिलता है। खासकर वे लोग जो मानसिक तनाव या अन्य शारीरिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उन्हें इस चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए।
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