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माँ का आँचल – Short Heart Touching Story in Hindi

Short Heart Touching Story in Hindi

Short Heart Touching Story in Hindi

भाग – 1: गाँव की वो सुबह

गाँव की सुबहें हमेशा सादगी और शांति से भरी होती हैं। चिड़ियों की चहचहाहट, दूर से आती मंदिर की घंटियों की आवाज़ और घर के आँगन में गाय का रंभाना – सब कुछ मिलकर जैसे जीवन को एक नया संगीत दे देता है।

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव “बसरिया” में एक विधवा माँ रहती थी – शांति देवी। उसकी उम्र पचपन के पार हो चुकी थी, लेकिन चेहरे पर आज भी वो ममता भरी मुस्कान बरकरार थी। उसका एक ही बेटा था – राजू

राजू बहुत होशियार था। पढ़ने में अव्वल, स्वभाव से सरल और माँ का सच्चा दुलारा। शांति देवी ने अपने जीवन की सारी कठिनाइयों को सहते हुए, खेतों में मजदूरी करके, लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर के, राजू को पढ़ाया था। उसकी एक ही ख्वाहिश थी – “मेरा बेटा बड़ा आदमी बने, सफेद कपड़े पहने, सिर पर टोपी हो और लोग उसे ‘साहब’ कहें।”

भाग – 2: माँ की तपस्या

राजू जब हाई स्कूल पास हुआ, तो पूरे गाँव में मिठाइयाँ बँटीं। शांति देवी ने अपने गहने बेच कर, कर्ज लेकर, उसे शहर पढ़ने भेजा। राजू ने मेहनत की, इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई।

अब राजू एक बड़े शहर में रहता था। एसी ऑफिस, बड़ी गाड़ी, एयर-कंडीशंड फ्लैट – सब कुछ था। पर उस ठंडी दीवारों वाले फ्लैट में एक चीज़ की कमी थी – माँ की ममता।

शांति देवी गाँव में अकेली रह गई थी। पहले कुछ महीनों तक राजू फोन करता, पैसे भेजता, फिर धीरे-धीरे फोन कम हो गए। अब तो त्योहारों पर भी सिर्फ पैसे आ जाते थे, पर बेटा नहीं।

भाग – 3: गाँव की चिट्ठी

एक दिन गाँव के डाकिये ने शांति देवी के नाम एक चिट्ठी दी। चिट्ठी किसी अनजान पते से थी, लेकिन लिखावट राजू की थी। उसमें लिखा था:

“माँ, माफ करना। मैं बहुत व्यस्त हो गया हूँ। ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में शायद मैं तुम्हें पीछे छोड़ आया हूँ। मैं जल्द ही आऊँगा तुम्हारे पास। इस बार तुम्हें अपने साथ शहर ले जाऊँगा।”

शांति देवी की आँखें भर आईं। वो उस दिन के सपने देखने लगी जब उसका बेटा उसे अपने साथ ले जाएगा। वह हर दिन आँगन में बैठी उसी राह को देखती, जिस पर चलकर उसका राजू आएगा।

पर हफ्ते बीते, महीने बीत गए…राजू नहीं आया।

भाग – 4: शहर की चमक

उधर शहर में, राजू की ज़िन्दगी बदल चुकी थी। अब उसका नाम “राहुल मेहरा” था। उसने अपने नाम को थोड़ा आधुनिक बना लिया था, ताकि “कॉर्पोरेट इमेज” बनी रहे। अब वह एक सुंदर, उच्च वर्गीय लड़की – सिया – से शादी कर चुका था।

सिया को गाँव, मिट्टी, गोबर, और साड़ी पहनने वाली माँ का कोई आकर्षण नहीं था। वह एक मॉडर्न, अंग्रेज़ी बोलने वाली, स्मार्ट सिटी गर्ल थी। जब राजू ने सिया से कहा कि वह अपनी माँ को शहर लाना चाहता है, तो सिया ने साफ़ कहा –
“राज, मुझे गाँव की महक पसंद नहीं। हम कोई नौकर रख लेते हैं उनकी देखभाल के लिए। प्लीज, प्रैक्टिकल बनो।”

राजू चुप रह गया। वह जानता था कि माँ को किसी नौकर के सहारे छोड़ना, उसके जीवन की सबसे बड़ी बेवफाई होगी। लेकिन सिया से टकराने की हिम्मत उसमें नहीं थी।

भाग – 5: आखिरी चिट्ठी

शांति देवी अब बीमार रहने लगी थी। उसके चेहरे पर वो मुस्कान कम होती जा रही थी। फिर भी, हर शाम आँगन की चौखट पर बैठकर वो कहती –
“आज आएगा मेरा बेटा… आज ज़रूर आएगा…”

लेकिन एक दिन, वो आवाज़ हमेशा के लिए शांत हो गई।

गाँव वालों ने मिलकर उसका अंतिम संस्कार किया। उसके पास से एक छोटी सी पोटली मिली – जिसमें राजू की बचपन की तस्वीरें, उसके लिखे हुए पुराने खत, और एक पुराना खिलौना ट्रक था, जिसे राजू कभी छोड़ता नहीं था।

गाँव के मुखिया ने राजू को फोन किया –
“बेटा, तुम्हारी माँ अब नहीं रहीं… अगर आ सको तो आ जाओ…”

राजू कुछ देर चुप रहा। फिर ऑफिस की मीटिंग कैंसिल की और उसी दिन गाँव पहुँचा।

भाग – 6: टूटे आँचल की गवाही

जब राजू गाँव पहुँचा, सब बदल चुका था। मिट्टी की वो खुशबू, माँ की रसोई, आँगन की तुलसी – सब सूना था। वो उसी चौखट पर बैठ गया जहाँ उसकी माँ हर शाम उसका इंतज़ार करती थी। उसने माँ की पोटली खोली… और फूट-फूट कर रो पड़ा।

“माँ, मैंने तुझसे वादा किया था कि तुझे साथ ले जाऊँगा… पर मैं हार गया माँ… दुनिया की चकाचौंध में तेरा आँचल खो बैठा…”

राजू ने माँ की राख को अपने हाथों से उठाया, और शहर ले गया। वहाँ एक मंदिर बनवाया और माँ की अस्थियों को उसी मंदिर में स्थापित किया।

अब हर सुबह वो मंदिर जाता, माँ की तस्वीर के सामने बैठकर वही कहता –
“माँ, अब मैं रोज़ तुझसे मिलने आता हूँ… पर अफ़सोस, तू अब बोलती नहीं…”

निष्कर्ष:

ये कहानी सिर्फ एक माँ-बेटे की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है जो अपने जीवन की सफलता में अपनों को पीछे छोड़ देता है। माँ सिर्फ जन्म नहीं देती, वो हर दिन अपने बच्चों के लिए मरती है, जीती है। एक माँ का आँचल किसी भी एसी ऑफिस से ज्यादा शीतल, और किसी भी बड़े बंगले से ज्यादा सुरक्षित होता है।

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माँ की दुआ, बेटे का सपना: Desi Kahani Maaअभी पढ़े
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