2 weeks ago Desi Kahani By Charu Arora 38 Views

Kahani in Hindi – दिल को छूने वाली हिंदी कहानियाँ

Kahani in Hindi: “आशा की किरण”

यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक छोटे से लड़के की है, जिसका नाम रोहन था। रोहन का सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा, लेकिन उसके पास ऐसा कुछ नहीं था जिससे वह अपने सपने को पूरा कर सके। उसका परिवार बहुत गरीब था, और उसका पिताजी एक किसान थे, जो बहुत मुश्किल से खेतों में काम करके घर चलाते थे। उसकी माँ भी घर के काम में व्यस्त रहती थी और उसकी छोटी बहन नीलम भी स्कूल जाती थी।

रोहन का सबसे बड़ा सपना था कि वह पढ़-लिख कर एक बड़ा आदमी बनेगा और अपने गाँव की मदद करेगा। लेकिन उसके पास किताबें नहीं थीं, और न ही अच्छे स्कूल में पढ़ने का कोई साधन था। फिर भी उसने हार नहीं मानी। उसने खुद से वादा किया कि वह किसी भी हाल में अपने सपने को साकार करेगा।

रोहन के पास कुछ नहीं था, लेकिन उसकी मेहनत और ईमानदारी ने उसे कभी भी पीछे नहीं हटने दिया। वह रोज़ सुबह जल्दी उठता और खेतों में अपने पिता का हाथ बटाता। फिर शाम को वह गाँव के एक पुराने स्कूल में पढ़ाई करने जाता, जहां बाकी बच्चे खेलने जाते थे, पर रोहन किताबों के साथ समय बिताता। उसके पास खुद की किताबें नहीं थीं, लेकिन वह गाँव के बड़े बच्चों से किताबें उधार लेकर पढ़ता।

एक दिन गाँव में एक बड़ा शिक्षा मेला हुआ। मेले में राज्य भर से शिक्षक और छात्र आए थे, और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। गाँव के प्रमुख ने घोषणा की कि जो भी छात्र सबसे अच्छा लिखने में सफल होगा, उसे राज्य सरकार से स्कॉलरशिप मिलेगा। रोहन ने यह प्रतियोगिता जीतने की ठान ली। वह इस अवसर को खोना नहीं चाहता था।

रोहन ने पूरी तैयारी की। उसने अपनी लिखाई और ज्ञान को परखा और रात-रात भर मेहनत की। प्रतियोगिता का दिन आया, और रोहन ने बड़ी उम्मीद से प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसने एक कहानी लिखी, जो जीवन के संघर्ष और मेहनत की सच्चाई पर आधारित थी। उसकी कहानी में उसने यह दर्शाया था कि गरीबी कभी भी किसी के सपने को नहीं रोक सकती, अगर मेहनत और संघर्ष सच्चे हों।

जब परिणाम आया, तो सब लोग हैरान रह गए। रोहन ने न केवल प्रतियोगिता जीती, बल्कि राज्य सरकार से स्कॉलरशिप भी जीती। वह पुरस्कार के साथ गाँव लौट आया, और गाँव के लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया। रोहन ने कहा, “यह पुरस्कार मेरी मेहनत का फल है। मैं आपको यह दिखाना चाहता हूँ कि अगर आपके पास आत्मविश्वास और मेहनत हो, तो आप कोई भी सपना पूरा कर सकते हैं।”

समय बीतता गया, और रोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की। वह एक बड़ा आदमी बना, और उसने अपने गाँव में एक स्कूल खोला। उसने गाँव के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना शुरू किया, ताकि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे।

वह एक उदाहरण बन गया कि अगर मेहनत और सच्ची नीयत से किसी को अपना लक्ष्य हासिल करना है, तो कोई भी मुश्किल रास्ता नहीं रोक सकता। रोहन का जीवन और उसकी सफलता ने गाँव के हर व्यक्ति को यह सिखाया कि संघर्ष और मेहनत से बड़े से बड़े सपने साकार हो सकते हैं।

कहानी का संदेश:
कभी भी हालात से हार मत मानो। यदि आपके पास आत्मविश्वास, मेहनत और ईमानदारी है, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। आपके सपने तभी सच होते हैं जब आप उनके लिए कड़ी मेहनत करते हो और खुद पर विश्वास रखते हो।

सपनों की उड़ान

Kahani in Hindi: “सपनों की उड़ान” (विस्तृत संस्करण)

एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। मोहन गरीब था, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी, जो उसकी उम्मीदों और सपनों को बयां करती थी। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जैसे वह हर मुश्किल को पार कर सकता है, अगर उसे सही दिशा मिल जाए। मोहन का सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा और अपनी गाँव की हालत सुधारने में मदद करेगा। वह चाहता था कि उसकी मेहनत से उसकी माँ-बाप को आराम मिले, और गाँव के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिले।

मोहन के पास पैसे नहीं थे, लेकिन उसके पास एक चीज़ थी, जो किसी के पास नहीं थी – उसकी मेहनत और सपने। जब बाकी बच्चे गाँव में खेलते रहते थे, मोहन खेतों में अपने पिता का हाथ बटाता और रात को अपने छोटे से घर में पढ़ाई करता। उसकी किताबें कम थीं, लेकिन वह जो भी पढ़ता, उसे अपने दिल में बैठा लेता था। उसका एक ही ख्वाब था – अपने गाँव को एक नया नाम और पहचान दिलाना।

गाँव में कुछ लोग हमेशा मजाक उड़ाते थे और कहते थे, “यह लड़का क्या करेगा? वह तो गरीब है, इसके पास कोई भविष्य नहीं है।” लेकिन मोहन को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे विश्वास था कि अगर वह मेहनत करेगा, तो किसी भी हाल में वह अपना सपना पूरा कर सकेगा। उसकी माँ हमेशा कहती थी, “बेटा, मेहनत का फल जरूर मिलता है, बस अपना रास्ता न छोड़ना।”

एक दिन गाँव में एक बड़ा आयोजन हुआ। गाँव के प्रमुख ने घोषणा की कि जो भी छात्र परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा, उसे एक बड़ी स्कॉलरशिप दी जाएगी। यह सुनकर मोहन के मन में एक नया जोश पैदा हुआ। वह जानता था कि यह मौका उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसके सपनों को पूरा करने का पहला कदम हो सकता है।

मोहन ने ठान लिया कि वह इस मौके का पूरा फायदा उठाएगा। उसने अपने सपनों को और भी बड़े रूप में सोचना शुरू किया। वह दिन-रात मेहनत करने लगा। सुबह-सुबह खेतों में अपने पिता का हाथ बटाता और फिर शाम को अपनी किताबों में डूब जाता। उसके पास बहुत सारी किताबें नहीं थीं, लेकिन गाँव में एक पुराना पुस्तकालय था, जहाँ उसे किताबें मिल जाती थीं। वहाँ से उसने कई किताबें उधार ली और जितनी भी जानकारी मिल सकती थी, उसे समझने की कोशिश की।

हर दिन वह अपने एक लक्ष्य के बारे में सोचता – “मैं यह स्कॉलरशिप जीतूंगा, मैं अपनी शिक्षा पूरी करूंगा, और एक दिन गाँव में बच्चों के लिए एक स्कूल खोलूंगा।” धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और उसकी समझ बढ़ती गई।

समय आया परीक्षा का, और मोहन ने दिल से मेहनत की थी, इसलिए उसके परिणाम भी शानदार थे। उसने अच्छे अंक प्राप्त किए और वह उस स्कॉलरशिप का हकदार बना। गाँव में यह खबर फैल गई और लोग उसे एक नई उम्मीद की तरह देखने लगे। अब मोहन को शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल चुका था, जहाँ उसकी जिंदगी एक नई दिशा की ओर बढ़ने लगी।

शहर में पढ़ाई के दौरान मोहन ने बहुत कुछ सीखा। शहर के बच्चों से मिलकर उसे नई-नई चीज़ों का ज्ञान हुआ। वह जानता था कि उसने यहाँ तक पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत की थी, लेकिन अब उसे और भी अधिक मेहनत करनी थी। शहर में रहते हुए मोहन को कई तरह की चुनौतियाँ आईं। वह कभी अकेला महसूस करता, कभी निराश होता, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसके सपनों ने उसे कभी निराश नहीं होने दिया। वह अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्‍वल रहा और उसके काम में एक निष्ठा और ईमानदारी थी, जो उसे भीड़ से अलग करती थी।

कुछ सालों बाद, मोहन ने अपनी शिक्षा पूरी की और एक बड़ा आदमी बन गया। वह अब एक प्रतिष्ठित इंजीनियर बन चुका था और उसकी कंपनी में अच्छी-खासी नौकरी थी। लेकिन उसके दिल में हमेशा यही ख्याल था कि उसने जो कुछ भी किया, वह अपने गाँव के बच्चों के लिए नहीं किया था।

एक दिन मोहन अपने गाँव लौटा। उसने देखा कि गाँव में कुछ बदलाव आए थे, लेकिन कई चीज़ें अब भी ज्यों की त्यों थीं। फिर उसने ठान लिया कि अब उसे सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी जड़ों के लिए भी कुछ करना होगा। मोहन ने गाँव में एक स्कूल खोलने का निश्चय किया, जहाँ बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाती। वह जानता था कि एक अच्छे शिक्षा संस्थान से ही गाँव के बच्चों को उनके सपनों की दिशा मिल सकती थी।

उसने गाँव के सबसे पुराने भवन को स्कूल के रूप में बदल दिया। वहाँ न केवल गाँव के बच्चे पढ़ते थे, बल्कि आसपास के गाँवों के बच्चे भी शिक्षा लेने आने लगे। मोहन ने यह सुनिश्चित किया कि वहाँ सभी बच्चों को समान अवसर मिले, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो। वह खुद बच्चों को पढ़ाने जाता और उन्हें यह सिखाता कि मेहनत और ईमानदारी से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

अब मोहन का सपना सच हो चुका था। वह खुद बड़ा आदमी बना था, और उसने अपने गाँव की तक़दीर भी बदल दी थी। गाँव के लोग उसे एक नायक की तरह देखते थे और उसके कामों को सलाम करते थे। मोहन का नाम अब पूरे जिले में सम्मान के साथ लिया जाने लगा।

कहानी का संदेश:
सपने चाहे जैसे भी हों, अगर उन्हें सच्ची मेहनत और निष्ठा से पूरा किया जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं होता। जीवन में संघर्ष, मेहनत और विश्वास से ही हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत बना सकते हैं। मोहन की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर दिल में इरादा मजबूत हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद आसान हो जाते हैं।

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