Horror Story in Hindi | गर्ल्स हॉस्टल की सच्ची भूतिया कहानी

भूतिया कहानी हिंदी में – Horror Story in Hindi: “उसकी आत्मा अब भी यहीं है”
भाग 1: अनुष्का की अधूरी प्रेम कहानी – एक मासूम आत्मा का खौफनाक सफर
सन 2003 की बात है। शांति गर्ल्स हॉस्टल उस समय नया-नया बना था — चार मंज़िल की इमारत, ऊँचे पहाड़ों के बीच, सन्नाटे से भरी तंग गलियों से घिरा हुआ। आस-पास कोई ज़्यादा आबादी नहीं थी। हॉस्टल में लड़कियाँ कम थीं, लेकिन हर मंज़िल पर कम से कम 6 कमरे थे।
इसी हॉस्टल में एक लड़की आई थी — अनुष्का राठौर। एक मध्यमवर्गीय परिवार की साधारण-सी लड़की, लेकिन उसकी आँखों में बड़े सपने थे। वह डॉक्टर बनना चाहती थी। उसे किताबों से प्यार था, और अपने आप से भी। लेकिन वह जिस चीज़ से सबसे ज़्यादा डरती थी — वह था “टूटना।”
करण मल्होत्रा, उसी शहर में रहता था। कॉलेज में ही नहीं, पूरे शहर में उसके हैंडसम लुक और स्टाइल की चर्चा थी। वो अमीर बाप का बिगड़ा बेटा था, जो लड़कियों को “ट्रॉफी” समझता था। अनुष्का जैसी मासूम लड़की उसके लिए सिर्फ एक और शिकार थी।
करण ने धीरे-धीरे अनुष्का से दोस्ती की, उसके लिए चॉकलेट्स लाना शुरू किया, उसकी लाइब्रेरी से किताबें उठाकर उसके बैग में रख देता — और एक दिन उसने उसे गुलाब का फूल थमा दिया। अनुष्का ने कभी ऐसा अनुभव नहीं किया था। उसने सोचा शायद यही “सच्चा प्यार” होता है।
उनकी मुलाकातें बढ़ीं, लम्बी बातें होती रहीं, और फिर एक दिन करण ने कहा:
“तुमसे शादी करना चाहता हूँ, बस थोड़ा वक़्त दो।”
अनुष्का ने खुद को पूरी तरह से उस पर विश्वास कर दिया। उसे यह नहीं पता था कि करण पहले ही दो और लड़कियों से यही सब कह चुका है।
एक दिन, कॉलेज के गलियारों में अनुष्का ने करण को किसी और लड़की के साथ गले मिलते देखा। शुरू में उसे लगा शायद कोई दोस्त हो, लेकिन जब उसने उसकी बातें सुनीं — दिल टुकड़ों में बिखर गया।
टूटे दिल से टूटी आत्मा तक
अनुष्का तीन दिन तक हॉस्टल के कमरे से बाहर नहीं निकली। उसके खाने के बर्तन यूँ ही दरवाज़े के बाहर पड़े रहे। उसकी सहेलियों ने सोचा वो पढ़ाई में बिजी होगी, लेकिन कोई नहीं जानता था कि अंदर एक तूफान पल रहा है।
चौथे दिन — 14 फरवरी, वेलेंटाइन डे।
शाम के 6 बजे के आस-पास हॉस्टल की चौथी मंज़िल से एक भयानक चीख सुनाई दी।
अनुष्का ने खुद को हॉस्टल की बालकनी से नीचे फेंक दिया था।
उसका शरीर बुरी तरह कुचला हुआ था, लेकिन उसके हाथ में एक कागज़ था — जिस पर खून से लिखा था:
“जिसे मैंने सब कुछ दिया, उसी ने मुझे मिटा दिया… अब मैं कभी चैन से नहीं रहूँगी, और कोई और भी नहीं।”
उस दिन से कमरा नंबर 309 को बंद कर दिया गया।
पर क्या वो आत्महत्या थी? या कुछ और…
एक चौकीदार ने बाद में बताया कि उसने अनुष्का को कूदने से पहले बालकनी पर किसी और से बहस करते हुए देखा था — लेकिन जब वह ऊपर पहुँचा, वहाँ कोई नहीं था।
और मरने के बाद उस कमरे से अजीब-अजीब आवाज़ें आने लगीं — जैसे कोई दीवारें नाखून से खरोंच रहा हो, या कोई रात भर सिसक रहा हो।
कुछ लड़कियों ने तो ये भी बताया कि उन्हें कभी-कभी आईने में अनुष्का का चेहरा दिखता है — आँखों से आँसू नहीं, खून टपकते हैं।
और यहीं से शुरू हुआ हॉस्टल का डरावना इतिहास…
हर साल 14 फरवरी के आसपास, कोई न कोई लड़की बीमार पड़ने लगती। किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता, तो किसी को लगातार बुरे सपने आते।
हॉस्टल में एक अनकही सी बात फैल गई:
“प्यार मत करना यहाँ… नहीं तो अनुष्का की आत्मा तुम्हें छोड़ने नहीं देगी।”
भाग 2: रहस्यमयी घटनाएं – जब प्रियंका ने मौत को छू लिया
2023 का जून महीना था। गर्मियों की छुट्टियाँ खत्म हो चुकी थीं और नए सत्र की शुरुआत हो रही थी। उसी दौरान शांति गर्ल्स हॉस्टल में एक नई लड़की आई — प्रियंका सिंह।
दिल्ली की रहने वाली प्रियंका एक आत्मनिर्भर और तेज़-तर्रार लड़की थी। विज्ञान की छात्रा, पढ़ाई में अव्वल और किसी चीज़ से आसानी से डरने वाली नहीं। लेकिन उसे क्या पता था कि वह एक ऐसी जगह आने वाली है, जहाँ तर्क की कोई जगह नहीं — जहाँ डर खुद साँस लेता है।
कमरा नंबर 308 — मौत के साये के ठीक बगल में
प्रियंका को हॉस्टल के तीसरी मंज़िल पर कमरा मिला — 308 नंबर। और उसी के बगल में था वो कमरा, जो सालों से बंद था — कमरा 309 — जहाँ अनुष्का ने जान दी थी।
वॉर्डन ने बस एक हिदायत दी:
“309 के दरवाज़े के पास मत जाना… और अगर कभी खिड़की खुली मिले, तो बंद कर देना… बिना अंदर झाँके।”
प्रियंका को ये बातें अजीब लगीं, लेकिन उसने सोचा शायद ये सब “पुरानी अफ़वाहें” होंगी। वो अपने कमरे में शिफ्ट हो गई।
पहली रात सब सामान्य रहा। लेकिन फिर शुरू हुईं वो घटनाएं — छोटी लेकिन बेचैन कर देने वाली।
पहली अजीब घटना:
रात के ठीक 2:03 बजे प्रियंका की नींद एक अजीब आवाज़ से खुली — जैसे कोई दीवार पर हल्के-हल्के नाखून चला रहा हो।
उसने लाइट ऑन की, देखा — कुछ नहीं।
लेकिन जब उसने बाहर झाँका, कमरा 309 की खिड़की खुली थी।
हवा नहीं चल रही थी… दरवाज़ा बंद था… फिर खिड़की कैसे खुली?
उसने अगले दिन वॉर्डन से पूछा:
“मैम, ये 309 वाला कमरा बंद क्यों है?”
वॉर्डन के चेहरे पर पसीना आ गया। उसने बस इतना कहा:
“कुछ सवाल मत पूछो… जितना जानोगी, उतना डरोगी।”
दूसरी घटना: आईने में परछाई
तीसरी रात, प्रियंका आईने के सामने बाल बना रही थी। अचानक पीछे से ऐसा लगा जैसे कोई खड़ा हो। उसने मुड़कर देखा — कोई नहीं।
लेकिन आईने में — एक लड़की दिख रही थी… पीली-सफ़ेद साड़ी में, बिखरे बाल, लाल-लाल आँखें।
वो चीख पड़ी। हॉस्टल की दूसरी लड़कियाँ दौड़कर आईं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं देखा।
कुछ ने मज़ाक उड़ाया, कुछ ने कहा,
“शायद नींद में सपना देखा होगा…”
लेकिन प्रियंका जानती थी — ये सपना नहीं था।
तीसरी घटना: किताब पर लिखा खून से नाम
एक हफ्ते बाद, प्रियंका जब लाइब्रेरी से किताब लेकर अपने कमरे में आई, तो उसके होश उड़ गए।
किताब के पन्नों पर खून से लिखा था —
“प्रियंका… अब तेरा नंबर है।”
उसने किताब फेंकी और दौड़कर वॉर्डन के पास गई।
वॉर्डन ने किताब देखी… पन्ने साफ़ थे।
प्रियंका को लगा शायद उसका मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है… लेकिन हर रात कुछ नया होता गया।
कमरे की लाइट अपने आप जलती-बुझती, पंखा बिना बिजली के चलता, और कभी-कभी बेड के नीचे से किसी के गाने की धीमी आवाज़ आती —
“तूने मुझसे क्यों लिया मेरा प्यार… अब मैं लूँगी सबका चैन।”
रात जो कभी खत्म नहीं हुई
14 फरवरी, 2024 की रात।
प्रियंका ने कमरे की लाइट बंद की और सोने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजे बजाए — दरवाज़ा अपने-आप खुल गया।
उसने देखा — कमरा 309 का दरवाज़ा खुला पड़ा था, और अंदर से धीमे-धीमे किसी के रोने की आवाज़ आ रही थी।
वो आवाज़ धीरे-धीरे और भयानक होती गई… अब उसमें दर्द नहीं, नफ़रत थी।
“मैं अब सिर्फ रोऊँगी नहीं… अब मैं छीन लूँगी सबका प्यार।”
प्रियंका जैसे ही कमरे की तरफ़ बढ़ी, एक जबर्दस्त झटका महसूस हुआ — और वो ज़मीन पर गिर पड़ी।
उसने देखा — एक औरत घुटनों के बल रेंगती हुई उसकी तरफ़ आ रही है… उसका चेहरा जला हुआ, आँखें बाहर निकली हुई, और मुंह से खून की धार बह रही थी।
और फिर… सब काला हो गया।
सुबह की सच्चाई
अगली सुबह हॉस्टल स्टाफ को प्रियंका कमरा 309 के दरवाज़े के ठीक बाहर बेहोश पड़ी मिली। उसकी आँखें सफेद हो चुकी थीं, और वह किसी भी आवाज़ का जवाब नहीं दे रही थी।
डॉक्टर ने कहा —
“उसके दिमाग़ ने कुछ ऐसा देखा है, जो इंसानी समझ से बाहर है।”
उसके हाथ पर एक शब्द खुदा हुआ था — “अनुष्का”
और डर अभी खत्म नहीं हुआ…
प्रियंका के बाद हॉस्टल में और भी लड़कियाँ बीमार पड़ने लगीं। कुछ ने हॉस्टल छोड़ दिया, कुछ ने मानसिक इलाज लेना शुरू किया।
पर 309 का दरवाज़ा अब भी खुला था… और अनुष्का की आत्मा अब और शांत नहीं थी।
आप पढ़ रहे हैं? – Horror Story in Hindi: हॉस्टल में आत्मा का खौफ, डर और रहस्य से भरी एक सच्ची घटना।
भाग 3: मौत का साया – जब आत्मा ने इंसानों से खेलना शुरू किया
प्रियंका की घटना के बाद हॉस्टल में सन्नाटा छा गया। वॉर्डन ने बाहर कह दिया कि उसे नर्वस ब्रेकडाउन हुआ है, लेकिन जो लड़कियाँ हॉस्टल में थीं, वो जानती थीं — ये महज़ मानसिक बीमारी नहीं थी।
309 का कमरा अब बंद नहीं होता था।
हर रात उसका दरवाज़ा अपने आप खुलता, और वहाँ से एक ठंडी हवा पूरे हॉस्टल में फैल जाती।
हर रात 2:03 बजे – अनुष्का का समय
एक पैटर्न सामने आने लगा। हर रात ठीक 2:03 बजे, कुछ न कुछ होता।
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किसी के कमरे में आइना खुद टूट जाता।
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किसी लड़की के बाल अपने आप कट जाते, जैसे किसी ने कैंची से छीना हो।
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कुछ लड़कियाँ अपने सपनों में उसी जली हुई लड़की को देखतीं — उसकी आँखों से खून बहता और वह बस एक ही शब्द कहती:
“तुम सबने देखा… लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा… अब मैं सबको दिखाऊंगी।”
पहली मौत – शालिनी
शालिनी, प्रियंका की रूम पार्टनर थी। उसने सबसे ज़्यादा देखा कि प्रियंका कैसे बदल गई थी। वो रोज़ अनुष्का के नाम से डरती, और अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी।
एक रात शालिनी अचानक ग़ायब हो गई।
सुबह सबने देखा — वो छत से लटकी हुई थी, लेकिन सबसे डरावनी बात ये थी कि उसने कोई फंदा नहीं बाँधा था।
रस्सी खुद उसके गले में कस गई थी।
उसके पैरों के पास एक लाल दुपट्टा पड़ा था — वही दुपट्टा जो अनुष्का ने मरते समय पहना था।
दूसरी मौत – निधि
निधि ने हॉस्टल में नया-नया एडमिशन लिया था। उसे अनुष्का की कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने एक रात 309 के अंदर झाँक लिया।
बस झाँकना था, और वो रात आखिरी बन गई।
रात 3 बजे उसकी चीखें पूरे हॉस्टल में गूँजीं। जब लड़कियाँ पहुँचीं — वो अपने कमरे के कोने में बैठी थी, दीवारों पर अपने नाखूनों से लिखा था:
“वो अंदर अब अकेली नहीं है… मैं भी वहीं हूँ।”
अगली सुबह वो मानसिक अस्पताल भेज दी गई।
अनुष्का की आत्मा अब अकेली नहीं रही
कहते हैं आत्माएँ अगर बदले की आग में जलें, तो वो अकेली नहीं रहतीं — वो अपने जैसे और बनाती हैं।
अब हॉस्टल में केवल अनुष्का नहीं थी।
उसकी आत्मा ने शालिनी और निधि को भी अपने साथ ले लिया था। अब तीन आत्माएँ थीं, तीन साये, तीन डरावनी परछाइयाँ — जो हर लड़की का पीछा करतीं, जो प्यार करती, या किसी को “आई लव यू” कहती।
सीसीटीवी का रहस्य
हॉस्टल प्रबंधन ने आखिरकार हर फ्लोर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए। लेकिन जो रिकॉर्डिंग मिली, वो देखने लायक नहीं थी — डर के मारे टेक्नीशियन ने हार्ड ड्राइव ही फेंक दी।
रिकॉर्डिंग में एक रात प्रियंका के कमरे में सफेद कपड़ों में एक औरत खड़ी दिखी, जो धीरे-धीरे हवा में तैरती हुई उसकी तरफ बढ़ी।
और फिर — कैमरा फट गया।
एक पुरानी किताब से खुला राज़
एक दिन एक प्रोफेसर ने प्रियंका की डायरी और हॉस्टल की पुरानी रजिस्टर फाइल्स चेक कीं। उसमें एक नोट मिला — अनुष्का ने मरने से पहले एक किताब लाइब्रेरी से ली थी: “प्राचीन आत्मा विज्ञान”।
उस किताब में लिखा था कि अगर कोई इंसान गहरे धोखे में मरे, और मौत से पहले किसी से वादा ले — तो उसकी आत्मा तब तक नहीं जाती जब तक वो वादा पूरा ना हो।
अनुष्का का वादा क्या था?
“जिसने धोखा दिया, उसे भी दर्द होगा… और जो चुप रहा, वो भी नहीं बचेगा।”
अब डर सबका है…
अब हॉस्टल में कोई भी लड़की अकेली नहीं रहती। लाइट बंद नहीं की जाती, आईनों पर कपड़ा डाला जाता है, और 309 के आसपास कोई कदम नहीं रखता।
क्योंकि अनुष्का की आत्मा अब सिर्फ इंतज़ार नहीं करती — अब वो छूती है, पीछा करती है, और… खत्म कर देती है।
भाग 4: अंतिम बदला – जब हॉस्टल ही बन गया मौत का घर
अब हॉस्टल में कोई ज़िंदा नहीं बचा था… अंदर सब बंद थे, बाहर सब चुप।
फरवरी 2025 की बात है।
शांति गर्ल्स हॉस्टल की हालत अब वैसी नहीं रही थी। तीसरी मंज़िल बंद कर दी गई थी। कमरा 309 को लोहे की चेन और ताले से जकड़ दिया गया था। लेकिन वो दरवाज़ा… हर रात अपने आप खुल जाता।
लड़कियाँ अब एक-दूसरे की आँखों में वही सवाल पढ़ती थीं:
“आज किसकी बारी है?”
प्रियंका की वापसी – लेकिन कुछ बदला-बदला सा था
तीन महीने बाद, प्रियंका को मानसिक अस्पताल से वापस लाया गया। पहले वो चुप रहती थी, फिर धीरे-धीरे बोलने लगी। लेकिन जो सबसे डरावनी बात थी – वो उसकी आँखें थीं।
वो पहले की प्रियंका नहीं थी। अब वो हर वक्त एक ही बात कहती:
“मैंने उसे देखा है… और वो अब अकेली नहीं है…”
हॉस्टल की कुछ लड़कियों ने दावा किया कि उन्होंने रात को प्रियंका को 309 के कमरे में जाते देखा।
एक ने हिम्मत कर पूछ लिया:
“प्रियंका… तुम वहाँ क्यों जाती हो?”
प्रियंका ने सिर्फ इतना कहा:
“क्योंकि अब मेरी माँ वहीं रहती है…”
आईना जो अब सच दिखाता था
14 फरवरी, 2025 की रात।
हॉस्टल की लाइट्स गुल हो गईं। जनरेटर भी फेल।
हर कमरे में लड़कियाँ अपने-अपने बिस्तरों में दुबकी पड़ी थीं।
और फिर…
हर आईने में एक ही चेहरा दिखा — अनुष्का।
उसके होंठ हिल रहे थे, लेकिन आवाज़ किसी के कान में नहीं आ रही थी। सबने महसूस किया — जैसे कोई सीधा उनके दिमाग़ में बोल रहा हो:
“अब बहुत हो गया… अब कोई बच नहीं सकता…”
हॉस्टल की सबसे भयानक रात
रात के 2:03 बजे, पूरा हॉस्टल चिल्लाहटों से गूंज उठा।
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कोई दीवारों पर दौड़ रहा था,
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कोई सीढ़ियों से नीचे गिर रहा था,
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और किसी के कमरे से गीली मिट्टी की गंध आ रही थी — जैसे कोई कब्र से निकला हो।
प्रियंका के कमरे में आग लग गई — लेकिन जब दमकल पहुँची, उन्हें वहाँ कोई नहीं मिला।
बस एक चीज़ मिली —
प्रियंका की अधजली डायरी, जिसमें लिखा था:
“309 अब मेरा घर है… और जो भी यहाँ आया, उसे यहीं रहना होगा… हमेशा…”
सरकारी बंदी और एक आख़िरी झलक
कुछ ही हफ्तों में सरकार ने शांति गर्ल्स हॉस्टल को सील कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया:
“मानसिक स्वास्थ्य संबंधी घटनाएं… आत्महत्या… और पैरानॉर्मल रिपोर्ट्स। सुरक्षा के लिहाज़ से बंद।”
लेकिन जो चश्मदीद थे, वो जानते थे —
ये आत्महत्याएँ नहीं थीं… ये चयनित हत्याएँ थीं।
आज भी… अगर आप पास से गुजरें…
शांति हॉस्टल की बिल्डिंग आज भी खड़ी है। पुरानी, टूटी खिड़कियाँ, दरवाज़ों से झांकती परछाइयाँ, और दीवारों पर खरोंच के निशान।
शाम ढलते ही कुत्ते वहाँ भौंकने लगते हैं, और कोई पागल बुज़ुर्ग एक ही बात दोहराता रहता है:
“प्यार? मत करना यहाँ… वरना अनुष्का को मत कहना कि तुमने उसे नहीं जाना…”
ये कहानी नहीं… एक चेतावनी है
अगर आप कभी 309 नंबर का कमरा देखें — चाहे किसी भी हॉस्टल में — अंदर मत जाना।
क्योंकि अब अनुष्का की आत्मा बस एक जगह तक सीमित नहीं रही…
अब वो हर उस दिल को ढूंढती है… जहाँ प्यार अधूरा छूटा हो।