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Desi Kahaniyan: रहस्यमयी कुएं की डरावनी कहानी

Desi Kahaniyan: रहस्यमयी कुएं की डरावनी कहानी

Desi Kahaniyan: रहस्यमयी कुएं की कहानी

पुराने जमाने में हमारे गाँवों में ना जाने कितनी ऐसी desi kahaniyan सुनी जाती थीं, जो आज भी लोगों के दिल में बसी हैं। मैं आज आपको एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दादा जी ने मुझे बचपन में सुनाई थी।

ये किस्सा है बिहार के एक छोटे से गाँव धरमपुर का। उस गाँव के किनारे एक पुराना कुआँ था, जिसे लोग ‘रहस्यमयी कुआँ’ कहते थे। दादी कहती थीं कि उस कुएं में रात के वक्त अजीब सी आवाजें आती थीं। गाँव के लोग दिन में तो वहाँ पानी भरने जाते थे, मगर सूरज ढलते ही उस रास्ते से भी गुजरने से डरते थे।

अब कहानी शुरू होती है उस दिन से, जब गाँव के सबसे हिम्मती लड़के मोहन ने फैसला किया कि वह इस कुएं का सच सबके सामने लाएगा। मोहन बचपन से ही थोड़ा अलग था, उसे ना तो अंधेरे से डर लगता था, ना ही भूत-प्रेत की बातों से।

Desi Kahani: मोहन और रहस्यमयी कुआं

एक दिन शाम को जब सूरज ढल रहा था, मोहन अपने दोस्त रमेश के साथ कुएं की तरफ गया। रमेश तो आधे रास्ते से ही डरकर लौट गया, लेकिन मोहन आगे बढ़ता गया। उसने अपने हाथ में लालटेन ली और कुएं के पास जाकर ज़ोर से आवाज लगाई — “अगर कोई है तो सामने आ!”

कहानी सुनाते-सुनाते दादी जी हमेशा रुकती थीं और हमें डरा कर पूछतीं, “बोलो, कौन आया सामने?” और हम बच्चे डर से एक-दूसरे का हाथ पकड़ लेते थे।

मोहन को पहले तो कुछ नहीं दिखा, लेकिन अचानक कुएं के पानी में हलचल होने लगी। उसने ध्यान से देखा, तो पानी में एक औरत की छाया दिखाई दी। बाल बिखरे हुए, सफेद कपड़े और लाल आँखें। मोहन के पैर थरथराने लगे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। तभी वो छाया धीरे-धीरे पानी से ऊपर उठने लगी।

गाँव में कहते हैं कि वह औरत गाँव के ठाकुर की बहू थी, जो सालों पहले कुएं में गिर गई थी। लोग मानते हैं कि उसकी आत्मा आज भी वहीं भटकती है।

मोहन ने डरते-डरते पूछा, “तुम कौन हो?”
आवाज आई — “मुझे इंसाफ चाहिए… मुझे इंसाफ चाहिए…”

इतना सुनते ही मोहन उल्टे पाँव भागा और सीधा गाँव के बुज़ुर्गों के पास पहुँचा। सब लोग इकट्ठा हुए और फिर पंचायत बुलाई गई।

Desi Kahaniyan: गाँव की पंचायत और कुएं का सच

गाँव वालों ने मिलकर उस रात मंदिर में विशेष पूजा करवाई। पुरोहित जी ने बताया कि कुएं में कोई आत्मा बंद है, जिसे शांति नहीं मिली। पंचायत ने फैसला किया कि अगले दिन कुएं की सफाई करवाई जाएगी और पूजा-पाठ किया जाएगा ताकि आत्मा को मुक्ति मिले।

दूसरे दिन सब लोग इकठ्ठा हुए और कुएं की खुदाई शुरू हुई। काफी देर तक खुदाई करने के बाद एक पुरानी चूड़ी और पायल मिली, जिसे देखकर गाँव की बूढ़ी औरतें पहचान गईं कि यह वही बहू की है जो सालों पहले गायब हो गई थी।

गाँव में यह बात फैल गई कि बहू की आत्मा इंसाफ माँग रही थी और अब उसे शांति मिली है। उस दिन के बाद कुएं से अजीब आवाजें आना बंद हो गईं और लोग फिर से वहाँ पानी भरने जाने लगे।

Desi Kahani: कहानी से मिली सीख

दादी जी हमेशा इस desi kahani को सुनाकर कहती थीं कि डर से भागो मत, बल्कि सच का सामना करो। मोहन की हिम्मत ने पूरे गाँव की भलाई की। आज भी जब मैं गाँव जाता हूँ, तो कुएं के पास बैठकर यही कहानी याद आती है।

पुरानी desi kahaniyan सिर्फ डराने के लिए नहीं होतीं, बल्कि उनमें हमेशा कोई ना कोई सच्चाई और शिक्षा छुपी होती है। दादी कहती थीं कि ये किस्से ही हमारी असली विरासत हैं।

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