Desi Kahani: मिट्टी की खुशबू और अधूरी मोहब्बत

गांव की उस कच्ची गली में फिर से कदम रखते ही एक पुरानी सी ‘Desi Kahani’ मेरे ज़हन में ज़िंदा हो उठी। वो मिट्टी की सौंधी खुशबू, वो पीपल के पेड़ के नीचे की छोटी-सी चाय की दुकान, और वो हल्के-से मुस्कुराते हुए आंखों से बात करती चंपा।
मैं आरव, जो अब दिल्ली की भागती दुनिया में खो गया था, सालों बाद अपने गांव बांसखेड़ी लौटा था। वजह थी – दादी का अंतिम संस्कार। बचपन यहीं बीता था, लेकिन शहर की ऊँची इमारतों ने मुझे जड़ों से दूर कर दिया था।
पर जैसे ही गांव की पगडंडी पर पहला कदम रखा, बचपन की यादें सैलाब बनकर बह निकलीं। और उन यादों के बीच सबसे चमकीली थी चंपा – वो लड़की, जिसकी हँसी में बारिश की पहली फुहार की ताजगी थी।
बचपन का रिश्ता जो वक़्त की गर्द में छिप गया था
चंपा और मैं तब दोस्त बने जब वो अपनी माँ के साथ खेतों में काम करने आया करती थी। मैं अकसर स्कूल के बाद पीपल के नीचे बैठकर किताबें पढ़ता था, और वो चुपके से आकर मेरे पेन चुराया करती थी।
“बड़े होकर क्या बनोगे?” वो पूछती।
“शहर जाऊंगा, बड़ा आदमी बनूंगा,” मैं कहता।
“फिर मुझे भूल जाओगे?” उसकी मासूम आंखें पूछती थीं।
मैं हँसता, “कभी नहीं!”
पर ज़िन्दगी के इम्तिहान इतने सीधे नहीं होते। मैं शहर गया, पढ़ाई की, नौकरी मिली और धीरे-धीरे गांव के सारे रिश्ते धुंधले होते गए।
गांव लौटना और बीती यादों से टकराना
दादी की तेरहवीं के बाद, जब मैं कुछ देर अकेला बैठने निकला, अनजाने ही कदम उसी पीपल के पेड़ तक पहुंच गए। चाय की वही दुकान, वही कुर्सी, लेकिन अब उस हँसी की खनक नहीं थी।
“आरव?” एक धीमी आवाज़ आई।
मुड़ा तो एक औरत खड़ी थी, सर पर पल्लू, आंखों में वही सवाल।
“चंपा?”
समय ने उसे बदल दिया था, पर आंखें अब भी वैसी ही थीं – गहरी, सवाल करती हुई।
अधूरी बातें, जो आज भी दिल को कुरेदती हैं
हम पास के कुएं के पास बैठ गए।
“काफी बदल गए हो,” उसने कहा।
“तुम भी…” मैं रुक गया।
चंपा ने हँसते हुए कहा, “शहर जाकर लोग गांव को भूल जाते हैं, हम तो बस इंतज़ार करना जानते हैं।”
वो शादीशुदा थी, उसकी दो बेटियां थीं। पति शहर में मजदूरी करता था, और वो गांव में स्कूल में मिड-डे मील बनाती थी।
“तुम्हारे लिए कुछ लेकर आई थी…” उसने अपनी झोली से निकाला – एक पुराना पेन।
“तब तुमने कहा था कि शहर जाकर बड़ा आदमी बनोगे, ये पेन साथ रखना,” उसने कहा।
मेरी आंखें भर आईं। वो एक पेन नहीं, पूरी ‘Desi Kahani’ थी – बचपन, दोस्ती, मासूम मोहब्बत और अधूरा इंतज़ार।
मोहब्बत हमेशा शादी नहीं बनती
हमने कभी ‘आई लव यू’ नहीं कहा था, पर जो एहसास था, वो प्यार से कम भी नहीं था।
“क्या तुम खुश हो?” मैंने पूछ ही लिया।
“खुश तो नहीं, पर संतुष्ट हूं,” उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
“कभी मेरे बारे में सोचा?”
“हर बार जब चूल्हे में आग जलाती हूं, वो धुंआ आंखों में तुम्हारी तस्वीर बना देता है।”
मैंने चाहा कि समय को रोक लूं, उस पल को समेट लूं, पर गांव की शाम जल्दी ढलती है।
अलविदा उस Desi Kahani को, जो अधूरी रहकर भी पूरी लगती है
चंपा ने आखिरी बार देखा और कहा,
“जो रिश्ते अधूरे रह जाते हैं, वही सबसे प्यारे होते हैं। वो न खत्म होते हैं, न टूटते हैं। बस दिल में महकते रहते हैं… किसी मिट्टी की खुशबू की तरह।”
मैं गांव छोड़ आया, लेकिन वो Desi Kahani आज भी मेरे साथ है।
जब भी तेज बारिश होती है, या चाय की चुस्की लेता हूं – चंपा की हँसी, वो पेन, वो पीपल का पेड़ – सब कुछ सामने आ जाता है।
कभी-कभी, सबसे खूबसूरत मोहब्बत वो होती है, जो कभी मुकम्मल नहीं होती।
इस कहानी को स्पॉन्सर किया है Codenestify.com ने।