Desi Kahani – गाँव की सच्ची मोहब्बत और मिट्टी से जुड़ी प्रेम कहानी 1 month ago Desi Kahani By Charu Arora 58 Views

Desi Kahani – गाँव की सच्ची मोहब्बत और मिट्टी से जुड़ी प्रेम कहानी

Desi Kahani: गाँव की वो बारिश वाली मोहब्बत

बारिश की पहली फुहारों ने जैसे ही धरती को छुआ, गाँव की गलियों में मिट्टी की सोंधी खुशबू फैल गई। आम के पेड़ हरे-भरे होकर झूमने लगे और बच्चे कीचड़ में खेलते नजर आने लगे। यही वो समय था जब अमित, जो शहर में नौकरी करता था, तीन साल बाद पहली बार अपने गाँव लौटा था। उसकी आँखों में वो पुरानी यादें ताज़ा हो रही थीं — खेतों की हरियाली, दादी का झूला, और… वो बरगद का पेड़ जिसके नीचे एक Desi Kahani ने जन्म लिया था।

अमित के गाँव लौटने की खबर पूरे गाँव में फैल गई थी। बचपन के दोस्त, पड़ोसी और रिश्तेदार सब मिलने आ रहे थे। लेकिन एक चेहरा ऐसा था जिसे अमित बेसब्री से देखना चाहता था — संध्या

संध्या, वही लड़की जो बचपन में उसके साथ स्कूल जाती थी, नदी किनारे पत्थर जमा करती थी और जो हर बार मटकी फोड़ प्रतियोगिता में अमित को चीयर करती थी। तीन साल पहले जब अमित शहर चला गया, संध्या बस यही कहकर विदा हुई थी — “जल्दी लौटना, मैं यहीं रहूँगी।”

अमित ने सबसे पहले अपने घर की छत से गाँव का नज़ारा लिया। वो पुरानी हवेली, वो पोखर, मंदिर की घंटियाँ और सबसे बढ़कर — सामने वाले घर की वो खिड़की जहाँ संध्या अक्सर खड़ी रहती थी।

उसी शाम, गाँव में मंदिर का उत्सव था। अमित भी गया। भीड़ में एक नीले रंग की साड़ी पहने, आँखों में काजल लगाए, संध्या खड़ी थी। दोनों की नजरें मिलीं — एक पल को समय थम गया।

“कैसे हो, अमित?” संध्या ने मुस्कराते हुए पूछा।

“अब ठीक हूँ… तुम्हें देखकर,” अमित ने दिल की बात कह दी।

“अब ठीक हूँ… तुम्हें देखकर,” अमित ने दिल की बात कह दी।

दोनों घंटों बातें करते रहे। शहर की हलचल, गाँव की शांति, पुराने लम्हे, अधूरी कविताएँ — सब कुछ एक ही रात में ताज़ा हो गया। अगले कुछ दिनों तक, वो हर रोज़ मिलते रहे — कभी खेतों में, कभी तालाब के किनारे, तो कभी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में जहाँ दोनों ने पहली बार अपने नाम एक बेंच पर उकेरे थे।

पर जैसे हर Desi Kahani में एक मोड़ आता है, वैसे ही यहाँ भी आया।

एक दिन संध्या ने बताया कि उसके माता-पिता उसका रिश्ता तय कर चुके हैं — एक बड़े घर में, शहर के किसी अमीर लड़के से। उसकी शादी दो महीने में तय थी।

अमित कुछ पल के लिए चुप हो गया। उसकी आँखों में आंसू थे, पर होठों पर मुस्कान।

“क्या तुम खुश हो?” उसने पूछा।

“मैं नहीं जानती,” संध्या ने कहा, “पर मैं चाहती हूँ कि तुम कुछ कहो… कुछ ऐसा जो सब बदल दे।”

अमित का मन लड़खड़ा गया। वो जानता था कि संध्या की हाँ से कहीं ज़्यादा मायने उसके माता-पिता की रज़ामंदी रखते थे। लेकिन वो हार मानने वालों में से नहीं था।

अगले दिन वह संध्या के पिता के पास गया।

“चाचा जी, मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है,” अमित ने नज़रें झुकाकर कहा।

“बोलो बेटा,” उन्होंने कहा, शायद उन्हें पहले से अंदाज़ा था।

“मैं संध्या से प्यार करता हूँ। मैं जानता हूँ कि आप उसकी भलाई चाहते हैं, लेकिन मैं वादा करता हूँ कि मैं उसे कभी दुःखी नहीं होने दूँगा। मैं नौकरी करता हूँ, लेकिन गाँव भी सँभालना चाहता हूँ। मुझे बस एक मौका दीजिए।”

संध्या के पिता कुछ देर तक खामोश रहे। फिर धीरे से बोले, “तुम्हें देखकर अपने जवानी के दिन याद आ गए। तुममें सच्चाई है बेटा। मुझे संध्या की खुशी चाहिए… और वो तुम्हारे साथ है।”

उस रात संध्या की आँखों में आँसू थे, पर इस बार खुशी के।

गाँव में अगले ही महीने सादगी भरा शादी समारोह हुआ। आम के पत्तों से सजा मंडप, ढोलक की थाप और हल्दी की खुशबू से भरा वातावरण — एकदम देसी अंदाज़ में। पूरा गाँव जैसे एक हो गया था इस प्यार की कहानी को पूरा करने में।

अमित और संध्या ने शहर की चकाचौंध छोड़ गाँव की मिट्टी को चुना। उन्होंने साथ मिलकर एक छोटी सी लाइब्रेरी खोली, जहाँ गाँव के बच्चे पढ़ाई करने आते। खेतों में जैविक खेती शुरू की और एक बाग लगाया जिसमें हर साल आम और अमरूद की फसल होती थी।

यह Desi Kahani केवल दो प्रेमियों की नहीं थी, यह उस मिट्टी की थी जिसने दोनों को पाला, उस विश्वास की थी जिसने दो दिलों को एक किया, और उस उम्मीद की थी जो आज भी गाँव की हर गली में गूंजती है।

इस कहानी को स्पॉन्सर किया है Codenestify.com ने।