Best 30 Sad Shayari – जो छू जाए तुम्हारा दिल

शायरी में वो खास बात होती है जो हमारे दिल की गहरी भावनाओं को बयां करती है। पढ़िए Best 30 Sad Shayari – जो छू जाए तुम्हारा दिल, और महसूस कीजिए अपने दर्द को शब्दों में।
टूटे हुए दिल का क्या अफ़साना सुनाऊँ,
हर धड़कन में तेरा ही ग़म बसाऊँ।
जिसे चाहा था जान से ज्यादा कभी,
उसी ने हर ख़ुशी से मुझे दूर कर दिया।
आँखों से गिरा हर आँसू तेरी याद में था,
हर लफ्ज़ जो निकला, वो फरियाद में था।
तू समझा ही नहीं दर्द मेरी मोहब्बत का,
वरना जो टूटा है दिल, वो बरबाद में था।
ख्वाब थे आँखों में मगर टूट कर बिखर गए,
दर्द था सीने में मगर होंठों पे ठहर गए।
कह न सके उस बेवफा से अपना हाल,
बस लफ़्ज़ थे दिल में जो अंदर ही मर गए।
कौन कहता है कि वक्त जख्म भर देता है,
कुछ जख्म उम्र भर ताजा रहते हैं।
वो हर रोज़ मुस्कुराने की बात करता है,
जिसकी मोहब्बत में हम रोज़ मरते हैं।
तन्हाई में जब जब तेरा ख्याल आता है,
दिल रोता है और चेहरा मुस्कुराता है।
कहते हैं इश्क़ में दर्द बहुत मिलता है,
शुक्र है, तूने ये सच तो सिखा दिया।
जिसे चाहा था उम्र भर के लिए,
उसी ने छोड़ा सबसे बुरे दौर में।
अब ना कोई शिकवा, ना कोई सवाल,
बस खुद से नज़रें चुराता हूँ हर ओर में।
कभी-कभी सोचता हूँ क्यों चाहा था तुझे इतना,
अब देख, तन्हाई ही मेरी हमसफ़र बन गई।
जिसे पाया था दुआओं में रो-रो कर,
वही दुआ अब मेरी सज़ा बन गई।
दिल रोया पर चेहरा मुस्कुराता रहा,
दुनिया को यूँ ही धोखा दिया मैंने।
जिससे मिली थी कभी जीने की वजह,
उसी ने जीते जी मार दिया मैंने।
टूटे हुए ख्वाबों का मेला सा लगा है,
हर कोना दिल का अब सुनसान पड़ा है।
तू कहता है भूल जा मुझे आसानी से,
कैसे भुला दूँ, जब हर सांस में तेरा नाम पड़ा है।
वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा,
कहने वाले भी अब दूर हो गए।
जिन्हें अपना समझा था उम्र भर,
आज वो भी गैरों में शुमार हो गए।
तेरे बिना अब चैन नहीं आता,
हर खुशी भी अब ग़म सा लगता है।
कहते थे लोग इश्क़ जन्नत है,
पर ये तो जहन्नुम सा लगता है।
जिसे रो-रो कर चाहा था,
उसने हँस कर भुला दिया।
दिल के टुकड़े बिखरे पड़े हैं,
किसी ने आकर उन्हें कुचल दिया।
कुछ रिश्ते दिल से निभाए थे मैंने,
पर वो सिर्फ वक्त गुज़ार रहे थे।
हमने तो जान तक दे दी मोहब्बत में,
और वो किसी और के इकरार में थे।
ज़िंदगी की इस महफिल में तन्हा रह गया,
जिसे दिल दिया था, वो बेवफा रह गया।
हर ख्वाब जो तेरे साथ सजाया था,
अब राख बनकर सीने में दफ्न रह गया।
अब मोहब्बत का नाम मत लेना,
ये जख्म अभी ताजा है।
जिसे टूट कर चाहा था,
उसी ने दिल तोड़ कर राज़ बना दिया।
हर रोज़ टूटते हैं ख्वाब मेरे,
हर शाम बुझती है उम्मीदों की लौ।
जिसे जान कहा था कभी दिल से,
आज वही देता है जख्मों की सौगातें।
छोड़ गए वो भी, जिनके लिए सब छोड़ दिया,
खुद को मिटा दिया और उन्हें खुदा बना दिया।
अब तनहा हैं हम अपनी तन्हाइयों में,
और ग़म ने हमें अपना घर बना लिया।
इश्क़ में यूँ बर्बाद हो गया हूँ,
जैसे दरिया में कश्ती डूब गई हो।
ना साहिल बचा, ना कोई किनारा,
बस हर सांस में तेरा ग़म रह गया हो।
तेरी हर बात में अब दर्द नजर आता है,
हर मुस्कान के पीछे कोई धोखा छुपा है।
दिल को समझा लिया है अब खुद ही मैंने,
कि मोहब्बत अब सिर्फ किताबों में अच्छा लगता है।
टूटे दिल की ये तन्हाई देखो,
आँखों में बसी रुसवाई देखो।
जिसे चाहा था जान से ज्यादा,
उसी की दिल से बेवफाई देखो।
तेरी यादें अब सांसों में जहर बन गई हैं,
और मेरा दिल कब्रिस्तान बन गया है।
तू तो कहीं और मसरूफ है ज़िंदगी में,
पर मेरा वजूद तेरे ग़म में खो गया है।
वो कहते हैं भूल जाओ बीते लम्हों को,
कैसे भूलें, जब हर सांस में वही बसा है।
जिसे मोहब्बत की इन्तहा समझ बैठे थे,
आज वही सबसे बड़ा ग़म बन बैठा है।
दिल में जख्म हैं पर जुबां खामोश है,
दर्द में डूबा ये दिल बेहोश है।
मुस्कराते हैं सबके सामने हम,
पर अंदर से ये दिल कितना रोश है।
तन्हाई अब दोस्त बन गई है मेरी,
आंसुओं की आदत सी हो गई है।
जिसे चाहा था अपनी जान से भी ज्यादा,
उसी की बेरुखी अब किस्मत हो गई है।
ख्वाहिश थी तुझे पाने की उम्र भर,
तूने तो लम्हों में रिश्ता तोड़ दिया।
अब जिंदा हूँ बस सांसों के सहारे,
वरना दिल तो उसी दिन मर गया था।
छोटा सा दिल था मेरा, सब दे दिया तुझको,
और बदले में तूने जख्मों से भर दिया।
अब ना कोई शिकवा, ना कोई गिला,
बस खुदा से अब मौत की दुआ करता हूँ।
वो लफ्ज़ जो कभी तेरे लिए लिखे थे,
आज उन्हें जला कर राख कर दिया।
तूने मोहब्बत का तमाशा बना दिया,
और मैंने खामोशी को ग़म बना लिया।
हर पल तेरी यादों का साया है,
हर सांस में तेरा नाम आया है।
सोचा था वक्त भर देगा जख्म मेरे,
पर दर्द तो और भी गहरा हो गया है।
तू मिला था जीने की वजह बनकर,
अब जुदा होके मरने की वजह बन गया।
तेरी मोहब्बत में हमने सब खो दिया,
और तू किसी और की दुनिया बस गया।
इश्क़ की आग में जलते रहे हम,
और वो खेलते रहे मेरे जज्बातों से।
अब ना यकीन रहा किसी मोहब्बत पर,
बस नफरत है हर झूठे अल्फ़ाज़ों से।