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Bhoot Pret Wali Kahani » सहार का बिच्छू

Bhoot Pret Wali Kahani » सहार का बिच्छू

भूत-प्रेत की कहानी

Bhoot Pret Wali Kahani: आज के समय में, जहां लोग हाई-टेक गैजेट्स और स्मार्ट लाइफस्टाइल में उलझे हुए हैं, भूत-प्रेत की बातें और रहस्य हमारी ज़िंदगी से दूर हो चुके हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक आधुनिक शहर भी बुरे आत्माओं से अछूता नहीं होता? यह कहानी एक ऐसे शहर की है जहाँ लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त थे, लेकिन एक खौ़फनाक रहस्य ने उन्हें डर के साए में जीने पर मजबूर कर दिया।

शहर की सर्द रातें और पहला आभास

कहानी की शुरुआत होती है एक छोटे से शहर से, जो अब बड़ी-बड़ी इमारतों और चमकते हुए शॉपिंग मॉल्स से सज चुका था। इस शहर के बीचोंबीच एक नया मॉल बन रहा था, जिसमें हर कोई व्यस्त था। लेकिन इस मॉल के ठीक बगल में एक पुराना, खंडहर जैसा घर था। यह घर शहर के सबसे पुराने परिवार का हुआ करता था, लेकिन कुछ साल पहले ही इसके मालिकों की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी।

सभी लोग इस घर को ‘सहार का बिच्छू’ कहते थे। इसका नाम बहुत पुराना था और किसी के लिए भी इस नाम में डर छिपा हुआ था। हालांकि, इस घर के बारे में अब कोई ज्यादा बात नहीं करता था, लेकिन जैसे ही मॉल का काम तेज़ हुआ, कुछ अजीब घटनाएँ शुरू होने लगीं।

टेक्नोलॉजी और भूतिया घटनाएँ

एक दिन, शहरी के एक जानी-मानी सॉफ़्टवेयर डेवलपर, अरुण, जो हमेशा अपनी स्मार्टफोन और कंप्यूटर के साथ व्यस्त रहता था, एक रात अचानक घर के पास से गुज़रा। वह और उसकी दोस्त, श्रेया, जो एक डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट थी, मॉल के नए लॉन्च की रणनीति पर चर्चा कर रहे थे। वे दोनों देर रात तक काम कर रहे थे, जब वे उस खंडहर जैसे घर के पास पहुँचे, तो एक अजीब सी ठंडी हवा और कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दीं।

“क्या तुमने वह आवाज़ सुनी?” श्रेया ने घबराते हुए पूछा। “यह मॉल के पास नया निर्माण कार्य हो रहा है, लेकिन यहां कोई नहीं रहता, फिर ये आवाज़ें क्यों आ रही हैं?”

अरुण ने इसका मजाक उड़ाया, “शायद हवा की आवाज़ होगी या कुछ और।”

लेकिन उस रात के बाद अरुण का नजरिया बदलने वाला था।

पहला भूतिया हमला

अगले दिन सुबह अरुण को अपने लैपटॉप पर कुछ अजीब सी चीजें दिखीं। वह काम पर था, जब उसे अपनी स्क्रीन पर अचानक एक घबराई हुई तस्वीर दिखी। यह वही खंडहर वाला घर था, लेकिन अब तस्वीर में एक धुंधला सा चेहरा दिखाई दे रहा था। अरुण ने इसे एक तकनीकी गड़बड़ी समझा, लेकिन जब उस रात घर लौटते समय फिर वही चेहरा एक खिड़की से दिखाई दिया, तो उसका दिल जोर से धड़कने लगा।

अगली सुबह, श्रेया ने अरुण को बताया कि उसने उसी घर के पास एक महिला को देखा था, जो विचित्र तरीके से चलते हुए घर में प्रवेश कर गई थी। लेकिन जब उसने अगले दिन वहां जाकर देखा, तो घर में कोई भी नहीं था। यह देखकर अरुण का डर बढ़ गया। अब दोनों को यकीन हो चुका था कि इस शहर में कुछ और हो रहा है।

सच्चाई का पता चलना

श्रेया और अरुण ने एक प्राचीन किताब को खंगाला, जिसमें शहर के पुराने इतिहास का विवरण था। वहां उन्हें उस घर से जुड़ी हुई कुछ खौ़फनाक घटनाओं के बारे में पता चला। कहा जाता था कि ‘सहार का बिच्छू’ घर के मालिक एक अमीर व्यापारी परिवार से थे, जिनकी एक बेटी थी, जो एक रात घर के अंदर ही मर गई। कहा जाता था कि उसने अपनी जान एक पुराने रिवाज के तहत खुद ली थी, और उसकी आत्मा अब भी उसी घर में बसी हुई है।

इसके बाद, दोनों ने फैसला किया कि वे इस रहस्य को और गहराई से जानेंगे। दोनों ने एक जानी-मानी पंथवादी को मदद के लिए बुलाया। जब पंथवादी उस घर में गए, तो उन्होंने पाया कि घर के भीतर कुछ बेहद अजीब घटनाएँ घट रही थीं, जैसे कभी-कभी चीज़ें अपने आप हिलने लगती थीं, दीवारों से चुपके-चुपके आवाजें आती थीं, और कभी अचानक रोशनी चली जाती थी। पंथवादी ने कहा, “यह घर किसी भूतिया शक्ति से भरा हुआ है, जो अपनी आत्मा के शांति की तलाश में है।”

आखिरी हल और शांति

अरुण और श्रेया ने फैसला किया कि वे इस आत्मा को शांति देंगे। उन्होंने उस घर में एक पूजा आयोजित की और प्राचीन रिवाजों के अनुसार आत्मा को मुक्त किया। जैसे ही यह पूजा समाप्त हुई, घर के भीतर की ठंडक और अजीब घटनाएँ धीरे-धीरे रुक गईं।

कुछ दिन बाद, शहर में एक खुशहाल वातावरण लौट आया। मॉल का निर्माण पूरा हुआ, और लोग वहां आने लगे, लेकिन अब कोई भी उस पुराने खंडहर को नहीं देखता था। अरुण और श्रेया ने इस घटना को छुपा लिया, क्योंकि वे जानते थे कि जो कुछ भी हुआ, उसे समझने के लिए किसी को तैयार नहीं था।

निष्कर्ष » Bhoot Pret Wali Kahani

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि तकनीकी युग में भी कुछ चीज़ें हमारे समझ से बाहर होती हैं। चाहे हम कितने भी स्मार्ट क्यों न हों, लेकिन जो घटनाएँ आधिकारिक विज्ञान और समझ से परे होती हैं, वह हमारी इंद्रियों और भावनाओं को भी चुनौती देती हैं। “सहार का बिच्छू” कहानी में अरुण और श्रेया ने केवल एक भूतिया घटना को नहीं सुलझाया, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि जो कुछ भी अनहोनी लगती है, उसका हल हमेशा मौजूद होता है।

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