बच्चों की प्रेरणादायक कहानियां » Bacchon ke liye Kahaniyan

बच्चों की प्रेरणादायक, शैक्षिक, रोमांचक, मोटिवेशनल 10 नई हिंदी Bacchon ke liye Kahaniyan
1. चंदू गिलहरी की अनोखी प्रतियोगिता
जंगल घना था, हरियाली हर तरफ फैल रही थी। उसी वन में चंदू नाम की एक चतुर गिलहरी रहती थी। चंदू ने एक नया विचार किया — “क्यों न एक प्रतियोगिता रखा जाये, ताकि हर वनवासी बता सके कि उनके भीतर कौनसा अनोखा गुण है।”
चंदू ने संदेश फैलवा दिया — “कल सूर्योदय होते ही प्रतियोगिता शुरू होगी! हर कोई आओ, अपना हुनर दिखाओ।”
जैसे ही सूरज आया, सभी वनवासी इकट्ठे हुए — शेर ने गर्जन किया, खरगोश ने गति दिखाई, मोर ने सुंदर नृत्य किया…
अब चंदू आया — उसने गर्व से बोला, “मैं चतुराई दिखाऊँगा।” चंदू ने मुश्किल पहेलियाँ पूछीं, कोई हल नहीं कर पाया… पर चंदू ने चटकी भर में उनके जवाब बता दिए!
तब सभी ने एक साथ बोला — “चंदू, तुम चतुराई में सर्वोपरि हो!” चंदू ने मुस्करा कर किया, “यह प्रतियोगिता मुकाबला नहीं थी, इसका मतलब था हर एक का हुनर अनोखा है।”
जंगल ने चंदू की बात स्वीकार किया, शांति, एकजुटता और गर्व फैलने लगा हर जीव के दिल में!
2. चंदू गिलहरी की अनोखी प्रतियोगिता
जंगल घना था, हरियाली हर तरफ फैल रही थी — ऊँचे ऊँचे पेड़, घने झाड़, फलों से लदे टहनियाँ… उसी वन में चंदू नाम की एक चतुर गिलहरी रहती थी। चंदू छोटा था, पर बड़ा ही सूझवान था। हर मुश्किल का हल चंदू चटकी भर में ढूंढ लेता था, इसलिए वनभर में चंदू की तारीफ होती थी।
चंदू ने एक नया विचार किया — “क्यों न एक प्रतियोगिता रखा जाये, ताकि हर वनवासी बता सके कि उनके भीतर कौनसा अनोखा गुण है।”
चंदू ने एक चिउँटी की मदद से संदेश फैलवा दिया — “कल सूर्योदय होते ही प्रतियोगिता शुरू होगी! हर कोई आओ, अपना हुनर दिखाओ।”
जैसे ही सूरज ने आकाश पर सुनहरे रंग फैलाने शुरू किया, सभी वनवासी इकट्ठे होने लगे — शेर ने गर्जन किया, खरगोश ने गति दिखाई, मोर ने सुंदर नृत्य किया, बुलबुल ने मधुर गीत गाकर सभी का मन जीता…
अब चंदू आया — उसने गर्व से बोला, “मैं चतुराई दिखाऊँगा।” चंदू ने मुश्किल पहेलियाँ पूछना शुरू किया —
“ऐसा कौनसा फल है जो बाहर सख्त है पर अंदर मिठास ही मिठास?”
या
“कौनसा पक्षी आकाश में ऊँचे उड़ने पर भी हर पल घर लौटने का मार्ग ढूंढ लेता है?”
जंगल भर ने सिर खुजाकर सोचा, पर कोई जवाब नहीं आया… चंदू ने मुस्करा कर सभी पहेलियों का हल दिया!
तब शेर ने गर्व से बोला, “चंदू, तुम चतुराई में सर्वोपरि हो।” चंदू ने जवाब दिया, “यह प्रतियोगिता मुकाबला नहीं थी… इसका असली मतलब था हर एक का हुनर अनोखा है, कोई छोटा या बड़ा नहीं।”
जंगल ने चंदू की बात स्वीकार किया, शांति, एकजुटता और गर्व फैलने लगा हर जीव के दिल में!
3. चंपो खरगोश की साहसिक यात्रा
जंगल घना था, हरियाली चहुंओर फैल रही थी — ऊँचे ऊँचे पेड़, फलदार डालें, चिड़ियों की चहचाहट… उसी वन में चंपो नाम का एक छोटा खरगोश रहता था। चंपो थोड़ा शरमीला था, थोड़ा घबराने वाला, पर उसका दिल बड़ा साफ था।
चंपो ने एक बार तय किया — “अब मैं शरम छोड़ दूँगा, घबराना भूल जाऊँगा… एक साहसिक यात्रा पर निकलूँगा।”
चंपो ने अपने दोस्त चंदू गिलहरी से सलाह मांगी। चंदू ने बोला — “जाओ चंपो, पहाड़ की चोटी तक पहुंचो! वहीँ तुम्हें असली साहस का मतलब समझ आएगा।”
चंपो ने सफर शुरू किया… घने वन से होकर गुजरा, ऊँचे पहाड़ चढ़ा, नदियों की चट्टानों पर आया… हर पल उसको मुश्किलें आईं — गिरने का डर, भटकने का डर, थकने का डर…
पर चंपो ने हर बार एक गहरी सांस ली, चंदू की बातें याद किया — “दिल साफ रहे, इरादे मजबूत हों, तभी मुश्किलें आसान होती हैं।”
अंततः चंपो पहाड़ की चोटी तक पहुंच ही गया! उसने नीचे फैल रहे घने वन, चट्टानें, नदियाँ… हर सुंदर नजारा देखा… तभी चंपो ने महसूस किया — “मैंने किया… मेरा साहस मेरा साथ आया।”
चंपो ने गर्व से चंदू तक खबर पहुंचाई — “अब मैं शरमीला नहीं हूं… मैं साहसी चंपो हूं!”
जंगल ने चंपो का आदर किया, हर कोई बोला — “चंपो ने मुश्किलों पर विजय पा ली।”
4. राजा टोटो तोता और दोस्ती की असली कीमत
जंगल घना था, हर तरफ हरियाली फैल रही थी — फलदार पेड़, फूलें खिले थे, चिड़ियों की चहचहाहट हर दिशा में सुनाई देती थी। उसी वन में राजा टोटो नाम का एक छोटा तोता रहता था। टोटो सुंदर था, चतुर था, पर थोड़ा घमंडी था। उसको घमंड था कि वही पूरे वन में सर्वोत्तम है — कोई उसको मात नहीं दे सकता!
एक बार टोटो ने गर्व से बोला — “मैं ही इस वन का राजा हूं, कोई मेरा मुकाबला नहीं कर सकता।”
जंगल ने तय किया — इसका घमंड मिटाने का एक तरीका चाहिए। तभी चंपो खरगोश आया, चंदू गिलहरी आया, शेर आया, मोर आया… सभी ने एक योजना बनाई।
चंपो ने टोटो से बोला — “राजा टोटो, हम एक प्रतियोगिता रखें? जो वनवासियों की अधिकतर मदद करता होगा वही असली राजा होगा।”
टोटो ने गर्व से स्वीकार किया, “चुनौती स्वीकार!”
अब प्रतियोगिता शुरू हुई। चंपो ने फल गिराकर भूखे पक्षियों का पेट भर दिया, चंदू ने चट्टान गिरने पर चूहे का घर बनाया, शेर ने शिकारियों से वनवासियों की रक्षा किया…
टोटो ने? उसने गर्व किया, बोला — “मैं राजा हूं, मेरा काम आदेश देने का है।”
तब सभी ने एक साथ बोला — “राजा वही है जो सबकी रक्षा करता है, मदद करता है।”
टोटो ने शरमाकर स्वीकार किया — “मैं गलत था… असली राजा वही है जो सबको साथ लेकर चले।”
जंगल ने टोटो की भूल माफ किया, और टोटो ने तय किया कि अब से घमंड नहीं होगा, दोस्ती ही असली राज है!
5. चिंकी चिउँटी की सूझ-बूझ
जंगल घना था, हर तरफ हरियाली फैल रही थी — ऊँचे ऊँचे दरख़्त, फलदार टहनियाँ, चिड़ियों की चहचाहट… उसी वन में चिंकी नाम की एक छोटी चिउँटी रहती थी। चिंकी देखने में छोटी थी, पर इसका दिमाग़ बहुत तेज़ था।
एक बार भारी बारिश आई, हर तरफ़ पानी भरने लगा था। चिउँटियों ने घबराकर इधर-उधर भागना शुरू किया, उनके घर भरने लगे थे, भोजन बहने लगा था।
चिंकी ने शांति से सोचा — “यदि हम साथ काम करेंगे, तभी मुश्किल से बाहर निकल पाएँगे।”
चिंकी ने चिउँटियों की एक लंबी शृंखला बनाया, एक ने दूसरे का हाथ थामा, और सभी ने साथ लगाकर भोजन ऊँचे स्थान पर रखा, घर सूखने तक पहाड़ी पर शरण ली…
चिंकी ने चतुराई, एकजुटता और साहस से चिउँटियों की जानें भी बचाईँ और भोजन भी सुरक्षित किया।
जंगल ने चिंकी की तारीफ किया — “चिंकी ने किया असंभव संभव… एकजुट होकर मुश्किलें आसान होती हैं।”
6. मीनू मछली और साहस का संग्राम
समंदर की गहराई में मीनू नाम की एक छोटी सी मछली रहती थी। मीनू को अपने दोस्तों के साथ खेलना बहुत पसंद था, लेकिन उसमें एक डर था — वह समंदर के गहरे हिस्से में नहीं जा पाती थी। उसे लगता था कि गहरे पानी में खतरे हो सकते हैं, और वह कभी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।
एक दिन समंदर में एक बड़ा तूफान आया, और पानी के अंदर बहुत बड़ी हलचल मच गई। समंदर के सभी जीव तैरते हुए इधर-उधर भागने लगे। मीनू भी डर के मारे अपने घर में छुप गई। लेकिन कुछ समय बाद, उसने देखा कि उसका दोस्त बबल, जो एक छोटी सी मछली थी, पानी के गहरे हिस्से में फँस गई थी।
मीनू ने सोचा, “अगर मैं कुछ नहीं करती, तो बबल मुसीबत में आ जाएगा। मुझे अब डर छोड़कर साहस दिखाना होगा।”
मीनू ने अपनी हिम्मत जुटाई और गहरे पानी में तैरने का फैसला किया। वह धीरे-धीरे बबल तक पहुंची और उसे अपने साथ लाकर सुरक्षित स्थान पर ले आई। बबल ने मीनू का धन्यवाद किया और कहा, “तुमने मुझे बचाया! तुम असल में बहादुर हो।”
मीनू ने मुस्कराते हुए कहा, “सच्चा साहस तब आता है जब हमें अपनी डर से बाहर निकलकर कुछ करना पड़ता है। मैं डर रही थी, लेकिन तुम्हारी मदद करने के लिए मुझे अपनी हिम्मत जुटानी पड़ी।”
अब मीनू को अपने डर का सामना करने का रास्ता मिल गया था। वह जान गई कि अगर वह किसी और की मदद के लिए साहस दिखा सकती है, तो किसी भी मुश्किल से निकलने के लिए उसके अंदर ताकत है।
7. राजा शेरू शेर और वनवासियों की एकजुटता
जंगल घना था, हर तरफ हरियाली फैल रही थी — ऊँचे ऊँचे दरख़्त, फलदार डालें, चिड़ियों की चहचाहट… उसी वन का राजा था शेरू शेर। शेरू बलवान था, गर्जन करता था, सभी वनवासी उसको आदर और थोड़ा डर भी दिया करते थे।
एक बार घने वन पर सूखा आया — तालाब सूखने लगे, फल गिरने लगे, वनवासियों ने भोजन और पानी की कमी महसूस किया। शेरू ने आदेश दिया, “कोई निराश न रहे, हम इसका हल साथ साथ ढूंढेंगे।”
चंदू गिलहरी ने बोला, “राजा शेरू, पहाड़ की दूसरी तरफ़ एक झरना है, जहाँ भरपूर पानी है।”
तब शेरू ने सभी वनवासियों — हिरण, खरगोश, चिड़ियों, यहाँ तक कि चींटियों तक — एक साथ किया, एक लंबा जुलूस बनाया, पहाड़ पार किया, मुश्किलें आईँ, चट्टानें गिरने लगीं… पर शेरू ने साहस दिया, साथ दिया, एकजुट किया…
अंततः सभी ने पहाड़ पार किया, निर्मल झरने तक पहुंचे, जीवन ने फिर हरियाली ओढ़ ली!
जंगल ने शेरू की तारीफ किया — “राजा वही है जो मुश्किल घड़ी में साथ रहे, एकजुट रहे।”
8. रानी मयूरी और सूरज की किरण
जंगल में रानी मयूरी नाम की एक सुंदर मोरनी रहती थी। रानी मयूरी के पंख बहुत खूबसूरत थे, लेकिन उसका दिल भी उतना ही अच्छा था। उसकी ख़ासियत यह थी कि वह कभी भी किसी से घमंड नहीं करती थी, और हमेशा सभी के साथ अपनी सुंदरता बाँटती थी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि जंगल में एक अजीब सा साया फैलने लगा। धीरे-धीरे जंगल के सारे रंग फीके पड़ने लगे — पत्तियाँ मुरझाने लगीं, फूलों की खुशबू गायब हो गई, और चिड़ियाँ भी गाने में रुचि नहीं ले रही थीं। सभी जानवर घबराने लगे कि कुछ गलत हो रहा है।
रानी मयूरी ने महसूस किया कि इस साए के पीछे जरूर कोई बड़ा कारण है। वह जंगल के सबसे बुजुर्ग और ज्ञानी जानवर, हाथी दादा, के पास गई और उनसे पूछा, “दादा, यह क्या हो रहा है? जंगल का रंग उड़ रहा है।”
हाथी दादा ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, “यह जंगल का दुख है। इस साए को केवल सूरज की किरण ही दूर कर सकती है, लेकिन सूरज की किरण को तुम तभी पा सकते हो, जब तुम्हारे दिल में सच्ची सुंदरता और अच्छाई हो।”
रानी मयूरी ने हाथी दादा की बातों को दिल से सुना और सोचा, “मुझे इस साए को दूर करने के लिए सिर्फ अपनी सुंदरता दिखाने की जरूरत नहीं है, मुझे दूसरों की मदद करनी होगी।”
वह पूरे जंगल में घूमी और सभी जानवरों से कहने लगी, “हमें मिलकर एकजुट होकर इस संकट का सामना करना होगा। अगर हम सब एक साथ रहेंगे, तो हम सूरज की किरण को पा सकेंगे।”
रानी मयूरी ने सबको सिखाया कि एकजुटता और मदद से हर मुश्किल आसान हो जाती है। सभी जानवरों ने उसकी बात मानी और एक साथ जंगल में खुशी और प्यार का वातावरण बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, सूरज की किरण जंगल पर पड़ी और सारे रंग लौट आए।
जंगल फिर से हरा-भरा और खुशहाल हो गया। रानी मयूरी की तरह, सभी ने सीखा कि असली सुंदरता तब होती है जब हम दूसरों के साथ प्रेम और समर्थन बांटते हैं।
9. टिंकी कौवा और एकता की शक्ति
जंगल घना था, हर तरफ हरियाली फैल रही थी — ऊँचे ऊँचे पेड़, फलदार डालें, चिड़ियों की चहचाहट… उसी वन में टिंकी नाम का एक कौवा रहता था। टिंकी चतुर था, पर थोड़ा शरारती भी था।
एक बार शिकारियों ने जाल बिछाकर वन के पक्षियों, चिड़ियों और कौवों तक को पकड़ लिया। शिकारियों ने उन्हें एक बड़े पिंजड़े में बंद किया, ताकि बाद में बेच सकें। सभी पक्षी घबराकर चिल्लाने लगे — “अब हमारा किया होगा?”
टिंकी ने चतुराई दिखाई — उसने सभी पक्षियों से बोला, “यदि हम एक साथ प्रयास करेंगे, तभी इस मुश्किल से निकल पाएँगे।”
टिंकी ने योजना दी — “जैसे ही शिकारियों ने पिंजरा रखा, हम सभी एक साथ एक दिशा में उड़ने लगें।”
चिड़ियों ने टिंकी पर भरोसा किया… एक… दो… तीन… साथ ही उन्होंने एक साथ पंख फैलाकर उड़ान भर दी! उनके एकजुट प्रयास ने भारी पिंजरा तक आकाश में उठा दिया! शिकारियों ने चौंकाकर देखा — उनके शिकार उनके हाथ से निकल रहे थे!
चिड़ियों ने थोड़ा ऊपर उड़ने पर पिंजरा गिरा दिया, दरवाज़ा खुल गया, सभी पक्षी बाहर आ गए — आज़ाद, ऊँचे आकाश में फैलने लगे!
टिंकी ने गर्व से बोला, “देखो, एकजुट होकर हम असंभव काम भी आसान बना सकते हैं।”
जंगल ने एक बार फिर शांति पा ली, शिकारियों ने भी सबक सीखा — एकजुट लोगों या जीवोँ की शक्ति अधिक होती है।
10. बादल और सूरज की दोस्ती
एक समय की बात है, आकाश में एक विशाल बादल और एक चमकदार सूरज रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनके बीच एक छोटी सी समस्या थी। बादल हमेशा सूरज के तेज़ रौशन से छिपना चाहता था, क्योंकि उसे लगता था कि सूरज का प्रकाश बहुत तेज़ होता है और वह अक्सर अपनी सूरत को ढक लेता था।
सूरज को यह बात समझ में नहीं आती थी। वह सोचता, “मुझे तो सबकी मदद करनी होती है, क्या यह सचमुच इतना कष्टकर है?”
एक दिन, आकाश में एक बड़ी तूफ़ानी बारिश आई। बादल ने सूरज से कहा, “देखो, अब तो मैं पूरी तरह से आकाश में छा गया हूँ! तुम मुझे अपनी रौशनी दिखाने की कोशिश करो!” सूरज ने मुस्कराते हुए कहा, “ठीक है, तुम्हारी तरह छिपने का मुझे मौका ही नहीं मिलता, लेकिन इस तूफान में एक बात समझो — तुम ही बताओ, क्या हम दोनों मिलकर काम कर सकते हैं?”
बादल ने सोचा, और फिर दोनों मिलकर एक योजना बनाई। सूरज ने अपनी रोशनी धीरे-धीरे फैलानी शुरू की, और बादल ने अपनी नमी को हल्का किया। दोनों ने मिलकर समंदर से भरी बारिश को धीरे-धीरे हल्का किया। बारिश कम होने लगी, और आकाश में धीरे-धीरे नीला रंग फैलने लगा।
आखिरकार, जब सूर्य की रौशनी और बादल की छांव ने साथ मिलकर काम किया, तो आकाश एकदम साफ़ हो गया। सूर्य की किरणें और बादल की शीतलता ने सबको आराम दिया। जंगल के सभी प्राणी ने आकर उन्हें धन्यवाद दिया, “तुम दोनों ने मिलकर हमें कितनी राहत दी!”
सूरज और बादल दोनों ने समझा कि कभी-कभी एक-दूसरे से अलग रहकर सब कुछ संभव नहीं होता। साथ मिलकर काम करना सबसे बेहतरीन तरीका है।